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बुलायो इ लेखअ बुलाया न सब न मान्ह, वहाँ इन्ह नन जी भी छो, अब नन जी चुपचाप रह। अब यो लग्यो बलडबा वहाँ। अब म्हाँ रोटी खा रया छा। उटी उटी की आडी गोबरीलाल मोडक्या आळो, म्हाँ दोनी। असी क म्हार ताई मादरच,,, यो तो बर्ड रयो जसी क मन्ह आरर्र वाह स स्टेज स उतर यूँ जा रयों छो पूचो पकडल्यो मज़ाक़ कोई न थारि सह्स क तळ बट्यो छू। पूचो पकडल्यो काई खी तन्ह? चामडा इ फेर दयु तारा नई अस्या क अस्या अडग्यो अड क नई पाछो ले ग्यो वाह, वाह जारर्र भलाई पूछ ल्यो माफ़ी माँगी छ, सब क बीच म, क साहब मन्ह म्हारर्र नटो भी कोई न छो ये लेर आया छ, म्हारी बेजती करी, म्हूँ माफ़ी चाहूचु। ग़लत शब्द आज मानल्यो बलाया छः, सत्कार सबको कर रया छः, तू एक दूसरा/ आमा सामह की निंदा क्यों कर रयो छः? इ क लेह तोढ़ी बुलायो छः। अरर्र बना नुत भी आ ग्यो बहट अबार बूरों मत मानजे, बना नुत म्हाँ दोनी आण बटया, म्हाँ निंदा बुराई तोढ़ी करंगा। नहीं नहीं म्हूँ थाकी ये म्हारी निंदा करर्र तो कतरी छोकि तोड़ी छः। यह संस्कार कोई न थाका, न समझया अब म्हां इटावा मल्या फेर म्हूँ भी ग्यो वाह, ब्याई मांगीलाल जी क बच्चा की छोरी की शादी छी;, अरर्र यह भी ग्या, अस्या अंदर बटया छा, चतरभुज जी ये सब। म्हां दो चार धन्नालल जी सेकेटरी म्हां सारा वही इटावा क बनवारी जी होर कह छ, अठी आव न यार ब्याई जी। मन्ह की बठो आप, मन्ह तो याद छी, याँ क फ़ालतू पास बोलबा की सब्यता कोई न ठीक छ, खाबा म टुकड़ों माल ग्यो तो यो मतलब कोई न, मनख स मनख बड़ों कोई न, सबको सम्मान करो यार, बाता इ ग्रहण करो न यार। मज़ेदारी म कोई की ईर्ष्या आळी बात अतनी मत रखाणो। जब मल्या छा। हाल अंता म जतो रयु छू म्हूँ, बजोरा आळां चतरभुज जी क यहाँ, जाणगी थू? प्रेम जीजी बाई न, न जाणु क म्हूँ? बाक़ी म्हूँ तो राम राम भी न करूँ, क्योंकि म्हारर्र तो जब सू अस्यो उतरयो छः।
यार कोई इंसान गैले चाल ताई उखी बदनामी अंट संत बोला काई मतलब आ रयो छ। चतरभुज बोल्या होगा? बाबूलाल रैनवाल , इकी आदत छ ही सणी, अब आदत म काई छ म्हाक राधेश्याम छ म्हाकी मावसी को सगो, सुण जे महारी बात जो रतनलाल जी क परण्यो छ पुसर श्यामपुर, उकी बहन बहनोई छ रैनवाल की सगी जो शिवपरा म रह छ म्हाक उ राधेश्याम, म्हाक राधेश्याम की बच्ची बड़गाव परणाई छी जो वन्ही दोनों जवाईयाइ क तू ही छः म्हारी बेटी हथेलो उनह ही छुड़ायो छ। उखी बहन न खी म्हाक बेटी जवाई था ही छ ! था न ही रखाणुगी, ऱखानो बाकी बाद की बाद छः म्हा लेग्या वो यात्रा खड़ ग्या जे राधेश्याम जी तो उठी मर गया उक बाद म वा ई रह गयी ! जो वाई उ मरयो उ टेम म उ छोरा क नाम छ सब म छिट्टियाँ पिट्टिया म, सब म, तो उकह पाग न बंदवा ही या सब न बाबूलाल रैनवाल न, म्हूँ भी आयो छू बट्यो छो छानो म्हार काई मतलब आयो! न तो महू भी बोलबा को हक़ रखाण छो न ? भाई म्हारर्र मावसी जाय बेटा क भाई छ तो उकी छोरी छः जया म्हा की छोरी होई न? एक तरह सु, मनह खी न बोला देखो लम्बा घिसड़ा छः यहां से काई मतलब आयो। कोई क धन हो ग्यो कोई कह भूखा मर मरबा दयो। बटया बटया वा होगी कड़ग्या महा बारह! थोड़ा दन रहा वा छोरी अर क जवाई दोनों गया पाछा पडबा। फेर दूसरी बहन को छोरो बुला ल्यो। उ काई होई वा राधेश्याम जी क घर सु वा भी कही गी होगी ढोकबा, जे गेल्या म आ री छी मोटर स एक्सीडेंट म मर गी, ख़तम हो गया न?कोई भी कौन न रयो न रासो साफ़ ! जे पीसा उक्का कलेम का मिल्या तीन लाख रपया जे कुछ अच्छी सम्पति छी उ क पास, शिवपरा म बढ्यो पाँच-सात-आठ कमरा छः बढ़या डबल मंजिल स्टोरी मकान छः अब सब पिस्या, दूध डेरी, बड्या काम क़र्यो छः बापड़ा न, अब व् सब बराबर कर माल्या छः ! ॐ परमात्मा याह ही देखो थारह सामन्य साच खु गो तो साच न गूढह परमात्मा न देख महली वाई होवगी। सीधी बात तो या छ म्हार पास। चाव म्हूँ धणो कह रयो छू पर न जाण काई छ महार दिल म जिसह कह रयो होव पर परमात्मा ही तो जाण छ , सत्य ही तो कदी जीत न सक टेम लग जाव छः यह छ बात !
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